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रुचि के स्थान

राम धारा झरना, तंजरा

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राम घारा झरना की दूरीजिला मुख्यालय बैकुंठपुर से 10 किमी और ब्लॉक मुख्यालय सोनहट से 15 किमी है |यह सोनहत से पूर्व दिशा की ओर ग्राम केशगवां होकर 12 कि.मी. की दूरी तय कर ग्राम तंजरा पहुचा जा सकता है। पर्यटनीय दृष्टिकोण से यहा चांड नदी पर बने डेम जो चारो ओर खूबसूरत पहाडियों से घिरा हुआ वर्षभर जल से भरा रहता देखने योग्य है। यहां ग्राम तंजरा से पूर्व दिशा की ओर 2 कि.मी. दूरी पर चांड नदी पर बनने वाले 2 खूबसूरत झरने तथा गुफाए देखने योग्य है।
रामधारा झरना लगभग 30 फुट की उचाई से गिर रहा है। जबकि पकरी झरना 15 से 20 फुट की उचाई से गिर रहा है। दोना झरनों के बीच की दूरी लगभग 100 मीटर है। झरनों के ठीक उपर मैदानी भाग से होकर बहने वाली नदी के दोनो ओर समतल भाग है जहां परिवार सहित बैठकर वनभोज का आंनद लिया जा सकता है। पकरी झरना के साथ प्रकृति निर्मित 50 गज 30 फिट की गुफा भी देखने योग्य है।


नीलकंठ मेला स्थल एवं हिल स्टेशन

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नीलकंठ मेला स्थल एवं हिल स्टेशन की दूरी जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से 90 किमी और ब्लॉक मुख्यालय सोनहट से 60 किमी है |यह स्थल ग्राम दसेर से उत्तर पूव्र की दिशा में 02 किलोमीटर दूर सुरम्य वादियो में स्थित हिल स्टेशन जहा से रेनकूट एवं रिहंद के विद्युत तापगृह एवं रिहन्द बाँध का पूर्वी तट भाग आसानी से देखा जा सकता हैं
क्षेत्रियी-सामाजिक मान्यताओ के अनुसार यहा नीलकंठ बाबा की चट्टान हिलटॅाप पर स्थित है। जहा मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश तथा छ0ग0 के एम.सी.बी., कोरिया तथा सरगुजा जिले से भक्त एवं प्रकृति प्रेमी साल के 12 महीने पूजन एवं पर्यटन हेतु आते रहते है, इस स्थान की धार्मिक एवं प्राकृतिक मान्यताओ में यहा झर रहे 30 फुट की ऊंचाई से झरने के बीच स्थित एक छोटे गवाक्ष में स्थापित शिवलिंग है, जहा बहते हुए पानी के बीच से जाकर भक्त जन दर्शन पूजन करते है।


टेड़िया बाँध सिंधोर

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टेड़िया बाँध सिंधोर की दूरी जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से 75 किमी और ब्लॉक मुख्यालय सोनहट से 40 किमी है|रामगढ़ से उत्तर-पूर्व दिशा में मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित रामगढ़ से करीब 12 किलोमीटर दूर सिघोर गांव में टेड़िया नाले पर दो छोटी पहाड़ियों के बीच करीब 50 मीटर की दीवार बनाकर नाले का पूरा प्रवाह रोक दिया गया है।
बरसात के दिनों में इस बांध की क्षमता से अधिक पानी को जिस अनोखी तकनीकी क्षमता से निकाला गया है, वह भी अपने आप में देखने लायक है। ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने बांध की जल सीमा के चारों ओर अपना सर्वश्रेष्ठ उड़ेल दिया हो। तीन तरफ से घिरी खूबसूरत हरी-भरी पहाड़ियां और चौथी तरफ बहता टेड़िया नाला प्रकृति के प्रति मानव प्रेम को चौगुना बढ़ा देता है। इस बांध में बरसात और गर्मी के मौसम में खूब सारे पक्षी देखे जा सकते हैं। ग्रामीण इस बांध के सहारे मछली पालन कर अपनी आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से यहां वन विभाग की ओर से पर्यटकों के लिए ट्रैकिंग भी कराई जा रही है।


23^1/2 अंश की रेखा 82.50 देशांतर IST रेखा का मिलान बिन्दू

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23^1/2 अंश की रेखा 82.50 देशांतर IST रेखा का मिलान बिन्दू की दूरी जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से 35 किमी और ब्लॉक मुख्यालय सोनहट से 5 किमी है| घुनघुटा बांध रिसोर्ट के उत्तर पूर्व दिशा की ओर 2 कि.मी. की दूरी पर भगौलिक घटना का रेखीय संयोजन की दृष्टिकोण से अद्वितीय स्थान स्थित है।
23^1/2 अंश की रेखा 82.50 देशांतर IST रेखा का मिलान बिन्दूरेखाओ के मिलन का भारत में एक मात्र केन्द्र अनोखी भैगोलिक घटना के रूप में सोनहत ग्राम के साथ-साथ कोरिया जिले को एक विशिष्ट स्थान देती है। यहां पहूचने हेतु अमहर रिसोर्ट के अलावा देवी धाम मंदिर की ओर से भी जाया जा सकता है। देवी धाम का यह मंदिर अति प्रचीन होने के साथ-साथ सुरम्य वादियों में स्थित है। जो क्षेत्रीय जनमानस के धार्मिक आस्था का प्रमुख केन्द्र है।


हसदेश्वर मंदिर मेन्ड्रा

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हसदेश्वर मंदिर मेन्ड्रा की दूरी जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से 40 किमी और ब्लॉक मुख्यालय सोनहट से 5 किमी है| सोनहत से रामगढ की ओर जाने वाली मुख्य मार्ग में सोनहत से 3 कि.मी. की दूरी पर ग्राम मेण्ड्रा में उड़ीसा शैली से निर्मित भगवान शंकर का मंदिर है।
इसकी वास्तु एवं शिल्पकला पर्यटकों के मन को मोहती है। कुछ ग्रामीण मान्यताएं बगैर प्र्माणिकता के इस मंदिर के ठीक नीचे की ओर निकलने वाले एक कुण्ड के पानी को हसदो नदी का उद्गम ही मानते है। जो भगौलिक प्रमाणिकताओं पर खरा नही उतरता इस स्थल से बालंदगढ़ी एवं आसपास की पर्वतीय श्रखलाओं को सहजता से देखा जा सकता है।


गांगीरानी मंदिर, नटवाही

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गांगीरानी मंदिर की दूरी जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से 65 किमी और ब्लॉक मुख्यालय सोनहट से 35 किमी है| ग्राम नटवाही से पूर्व दिशा में लगभग 02 किलो मीटर की दूरी पर क्षेत्रिय धार्मिक आस्था का एक प्रमुख केन्द्र गांगी रानी देवी मंदिर स्थित हैं । यहाँ एक ही पत्थर (चट्टान) को धरातल से नीचे काटकर बनाया गया लगभग 20 X 20 मीटर का गुफा है जो 300 – 400 वर्ष पुरानी है एवं गुफा में ही वृषभ नाग सिंह एवं नर्तकों की मुर्तियों के साथ ही देव माता की मूर्ति नाग प्रथा सें संबंधित देखी जा सकती है।
गुफा को सहजता के साथ देखने पर समझा जा सकता है कि मानवीय पुरातन इतिहास काल में इसका निर्माण पत्थर के औजारों से किया गया होगा गोपद नदी के किनारे इस गुफा के निर्माण हेतु चुने गए स्थल के चयन में तत्कालीन मानव के कठिन परिस्थितियों में भी मानव जीवन को सरल रूप में जीने के प्रयास को दर्शाता है।


माछी-भैरव गढ़, गरनई

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माछी-भैरव गढ़, गरनई की दूरी जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से 70 किमी और ब्लॉक मुख्यालय सोनहट से 40 किमी है| रामगढ़ से कोटाडोल जाने वाली मुख्य सड़क पर चुलदर गांव के दक्षिण-पश्चिम में गरनई गांव के पार गोलकुंडा नदी के किनारे माछीगढ़ और भैरवगढ़ हिल स्टेशन स्थित हैं।
यहां पुरानी नाचा सभ्यताओं की गुफाएं और मूर्तियां, गुफाएं और प्राकृतिक सौंदर्य अपने आप में अद्वितीय हैं। पहाड़ियों की चोटी से 360 डिग्री का नजारा आंखों को अनोखा अनुभव देता है। किवदंतियां कहती हैं कि किसी समय माछीगढ़ की चोटी पर सोने के हथियार और गड़ा हुआ धन था। आज भी, शीर्ष पर एक तालाब से बहता बारहमासी पानी आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।


कोरिया महल

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कोरिया महल की दूरी जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से 0.5 किमी है| आजादी से पूर्व का निर्मित कोरिया रियासत का राजमहल दर्शनीय है।
प्रदेश में कोरिया जिला प्राचीन रियासत की भूमि पर ऐतिहासिक धार्मिक व पुरातात्विक संपदा समेटे हुए है। जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में स्थित कोरिया पैलेस को देखने पर्यटक दूर-दूर से पहुंचते हैं। कोरिया पैलेस के नाम से विख्यात राजमहल जिले की शान है ।
सन् 1923 में कोरिया पैलेस का डिजाइन तैयार किया गया था। नागपुर के इंजीनियर द्वारा उस वक्त 7 हजार रुपयों में राजमहल का नक्शा बनाया गया इसके बाद विभिन्न प्रांतों से आए कुशल करीगिरों द्वारा राजमहल का ग्राउण्ड फ्लोर सन् 1930 में तैयार किया गया। कोरिया पैलेस का उपरी हिस्सा 1938 में खड़ा हुआ और सन् 1946 में पैलेस बनकर पूर्णरुपेण तैयार हो गया था। कोरिया पैलेस की सबसे खास बात यह कि पूरे महल के निर्माण कार्य में चुने का प्रयोग किया गया है।


प्रेमाबाग मंदिर

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प्रेमाबाग मंदिर की दूरी जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से 1 किमी है| यहां 102 वर्ष पुराना प्राचीन शिव मंदिर है, सुंदर बगीचा,गेज नदी का किनारा होने के कारण प्रतिदिन काफी संख्यामें लोग यहां आते है। कोरिया रियासत के राजा के दीवान रघुवीर प्रसाद श्रीवास्तव ने 1921 में अपनी पत्नी प्रेमाबाई की याद में यह बाग बनवाया था| बाग में शिव मंदिर की स्थापना करवाई जिन्हें प्रेमशंकर महादेव नाम दिया| इसके बाद यह बाग धार्मिक स्थल के रूप में पहचाना जाने लगा | आसपास कई मंदिरों का निर्माण हुआ| जिस वक्त शिव मंदिर का निर्माण हो रहा था उसी समय राजा के दीवान ने मंदिर से लगे गेज नदी के पास एक कुंड का भी निर्माण करवाया, यह कुंड आज भी है बैकुण्ठपुर के प्रेमाबाग में स्थित प्रेमाकुण्ड का प्राचीन महत्व है। प्रेमाशंकर मंदिर (प्रेमाकुडं) 1911 में कोरिया रियासत में स्थापित हुआ था। राजा के दीवान ने अपनी पत्नी की याद में स्थापित किया था। तथा प्रेमाबाग में एक मंदिर श्रंखला तैयार की गई।